सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Monday, January 4, 2010

नारीवादी नारीविरोधी

तमगा देते हो नारी को नारीवादी होने का
पर मतलब क्या हैं
कौन हैं नारीवादी
क्या हैं आज के परिवेश मे
नारी वादी कि परिभाषा तुम्हारी
जो नारी खाना नहीं जानती बनाना
उसको क्या तुम कहते हो नारीवादी ?
तो ज़रा आओ मुझसे बेहतर खाना तुम बना कर दिखाओ
जो नारी स्वेटर नहीं बुनना जानती
उसको क्या तुम कहते हो नारीवादी ?
तो ज़रा आओ और मुझसे बेहतर स्वेटर का डिज़ाइन तुम बुन कर दिखाओ
जो घर के काम नहीं करती
उसको क्या कहते हो तुम नारीवादी ?
तो ज़रा आओ और मेरे घर से साफ़ और सुंदर घर अपना मुझे दिखाओ
जो माता पिता कि सेवा नहीं करती
उस क्या कहते हो नारीवादी
तो आओ और देखो मेरी माँ आज भी गरम रोटी खाती हैं
जिसको मै बनाती हूँ
वैसी गोल रोटी , प्यार से सेक कर कभी अपनी माँ को तुमने खिलाई हो तो बताओ
बस शर्त इतनी हैं कि ये सब तुम कर के दिखाओ
अपनी माँ बहिन या पत्नी का किया मत मुझ को दिखाना
क्युकी कहीं कोई और उनको भी तमगा दे रहा होगा नारीवादी का

घर तुम्हारा एक नारी ही चलाती हैं
वंश तुम्हारा एक नारी ही चलाती हैं
अधिकार अपने ना कभी तुमसे मांगे
अपने अधिकारों को वो कभी ना जाने
इसीलिये
हर वो स्त्री नारीवादी हैं जो
उनको उनके अधिकार से अवगत कराती हैं


चलो और आगे बढते हैं
क्यूँ कहते हो तुम नारीवादी
केवल क्या इसलिये कि नारी कि बात को खुल कर
मै कहती हूँ और तुम्हारे अस्तित्व से हटकर
अपने अस्तित्व को जीती हूँ

खुद कमाती हूँ
खुद सोचती हूँ
और दूसरी नारियों को
उनके अधिकार से अवगत कराती हूँ
अगर इस लिये मै नारीवादी हूँ
तो फक्र हैं कि मै नारीवादी हूँ

और तुम क्या हो ज़रा सोच कर बताना
देखा हैं मैने तुमको एक ऐसी लाइन मे
खड़े हुए , जहां एक ऐसा व्यक्ति
बाँट रहा हैं पुरूस्कार
जो निरंतर नारियों का करता रहा हैं तिरस्कार
और तुम उन चंद रुपयों के लिये बेच रहे हो
अपनी थाती और कला
और बजा रहेहो उसका ढोल
जिसकी हर आवाज तुमको
नारी विरोधी बताती हैं




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8 comments:

रेखा श्रीवास्तव said...

मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगी की दूसरों पर अंगुली उठाने वाले ये क्यों भूल जाते हैं की उनकी तीन अंगुलियाँ खुद उन पर उठी हुई हैं.
उन्हें उनकी अँगुलियों का बहन करना जरूरी है.

mukti said...

सही बात है. आजकल नारीवादी शब्द को लोग अपशब्द की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं, उन नारियों के लिये जो जागरुक हैं अपने अधिकारों के प्रति और दूसरों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत कराती हैं. अच्छा जवाब है आपका.

शोभना चौरे said...

घर तुम्हारा एक नारी ही चलाती हैं
वंश तुम्हारा एक नारी ही चलाती हैं
अधिकार अपने ना कभी तुमसे मांगे
अपने अधिकारों को वो कभी ना जाने
इसीलिये
हर वो स्त्री नारीवादी हैं जो
उनको उनके अधिकार से अवगत कराती हैं


रचनाजी
आपसे पूर्णत सहमत हूँ इस परिप्रेक्ष्य में गाँव कि स्त्री अतिशय नारीवादी है |वो सुबह पांच बजे से उठकर आठ बजे तक घर के कामो से निबटकर अपना और पति का खानासाथ लेकर खेत में जाती है मजदूरी करने |खाने कि छुट्टी में वो ही खाना निकलकर परोसती है अपने पति को |वो शान से खाकर उसी थाली में हाथ धोकर फिर पेड़ कि छांव में पड़ जाता है ,स्त्री साँझ को घर आकर फिर से पूरे परिवार का खाना बनाना कुए से पानी लाना इत्यादि काम करना करती है और उसका पति शाम से ही बीडी पीकर मंडली में बैठता है रात को दारू पीता है है और अपनी बीबी कि मजदूरी (जो उससे कम है क्योकि वह स्त्री है )उससे झपट लेता है |

Anonymous said...

sundar

पंकज said...

सहमत.

Akanksha Yadav said...

Mudde ki bat.

Jyoti Verma said...

kyo apne ko alag karti hai naari, koi kisi ke liye kuch nhi karta hai, sab apne kartavyo ka nirvahan karta hai...

neelima garg said...

विद्रोह के स्वर मुखर..