ना जाने क्यूँ
आजकल कुछ लिख नहीं पाती
आजकल कुछ लिख नहीं पाती
विचार
दिमाग की दीवारो से टकरा कर
वापिस लौट आते है
दिमाग की दीवारो से टकरा कर
वापिस लौट आते है
आवाज़ें
वादियों की तरह
मन में गूंज के रह जाती है
वादियों की तरह
मन में गूंज के रह जाती है
ऐसा क्या परिवर्तन हुआ है
जो मेरे अंतर्मन को
अपनी भाषा बोलने नहीं दे रहा
जो मेरे अंतर्मन को
अपनी भाषा बोलने नहीं दे रहा
हर रात अपने ही विचारो के साथ
मैं एक संघर्ष करती हुँ
मैं एक संघर्ष करती हुँ
उन्हें पन्ने पे उतारने का संगर्ष
उन्हें विचारो से व्यक्तित्व बनाने का संघर्ष
उन्हें मृत से जीवित बनाने का संघर्ष
उन्हें विचारो से शब्द बनाने का संघर्ष
पर सत्य ये भी है की
यदि पन्नो पे न छप सके फिर भी
ये विचार कमज़ोर नहीं होते
व्यक्ति मर जाता है
परन्तु उसके विचार जीवित रहते है
शब्दों को परिभाषित
होने के लिए विचारों की आवश्यक्ता है
विचारों को नहीं
यदि पन्नो पे न छप सके फिर भी
ये विचार कमज़ोर नहीं होते
व्यक्ति मर जाता है
परन्तु उसके विचार जीवित रहते है
शब्दों को परिभाषित
होने के लिए विचारों की आवश्यक्ता है
विचारों को नहीं