सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Friday, April 30, 2010

जीने की ललक अभी बाकी है

आशा जी ने नारी ब्लॉग पर कमेन्ट दिया था वहाँ से मे उनके ब्लॉग तक गयी और इस कविता को पढ़ा आप भी पढे

स्वत्व पर मेरे पर्दा डाला ,
मुझको अपने जैसा ढाला ,
बातों ही बातों में मेरा ,
मन बहलाना चाहा ,
स्वावलम्बी ना होने दिया ,
अपने ढंग से जीने न दिया |
तुमने जो खुशी चाही मुझसे ,
उसमें खुद को भुलाने लगी ,
अपना मन बहलाने लगी ,
अपना अस्तित्व भूल बैठी ,
मन की खुशियां मुझ से रूठीं ,
मै तुम में ही खोने लगी |
आखिर तुम हो कौन ?
जो मेरे दिल में समाते गए ,
मुझको अपना बनाते गए ,
प्रगाढ़ प्रेम का रंग बना ,
उसमें मुझे डुबोते गए ,|
पर मै ऊब चुकी हूं अब ,
तुम्हारी इन बातों से ,
ना खेलो जजबातों से,
मुझको खुद ही जी लेने दो ,
कठपुतली ना बनने दो ,
उम्र नहीं रुक पाती है ,
जीने कीललक अभी बाकी है |
आशा


आशा जी ने नारी ब्लॉग पर कमेन्ट दिया था वहाँ से मे उनके ब्लॉग तक गयी और इस कविता को पढ़ा आप भी पढे
उनके ब्लॉग पर कमेन्ट दे शायाद वो पढ़े क्युकी उनका ईमेल आ ई डी नहीं मिला हैं सो उनको सूचित नहीं कर सकी

© 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!

8 comments:

दिलीप said...

Asha ji ko is khoobsoorat rachna ke liye badhai...

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत सुन्दर कविता है... बधाई

Himanshu Pandey said...

सुन्दर कविता । आभार ।

रेखा श्रीवास्तव said...

आशा जी ने हर औरत की कहानी को अपनी कविता में व्यक्त किया है? यही कहानी है, आज से २ दशक पहले की नारी इससे अधिक कुछ नहीं रह पायी थी. वह आत्मनिर्भर थी तब भी इसकी दायरे में जीते हुए सारे किरदार निभा रही थी. अपने लिए तो शायद ही कुछ पल जिए हों.

मोनिका गुप्ता said...

नारी जीवन की बिल्कुल सही तस्वीर पेश की है आशा जी ने। स्थितियां अब भी नहीं बदली है, हां कुछ महिलाओं ने अपने जीवन की अलग तस्वीर बनायी है लेकिन अब भी ऐसी महिलाओं की संख्या ज्यादा है जिनका जीवन अपने पिता, पति और भाई के अनुसार गुजरता है।

vandana gupta said...

nari ki manodasha ka sashakt chitran.

Asha Lata Saxena said...

आप सब की आभारी हूं जो आपने मुझे और लिखने के लिए प्रेरित किया है |
रचना जी मै आपको अपनी ई मेल आई डी
भेज रहीं हूं |
My email id is as follows-
asha.saxena88@g mail.com

mamta said...

सुन्दर शब्द और भाव लिए है ये कविता ।