सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, October 30, 2012

प्रश्न



देख के आज नवरात्री का जशन
आत्मा मेरी कर रही प्रश्न
ये कैसा कन्या पूजन है
ये कैसा देवी का आदर
जब खुद अपने हाथो से हम
कर रहे नन्ही कन्यायो का संहार
क्या उन्हें नहीं जीने का अधिकार
देवी की जय करने वालो
तुम कैसे अब चुप बैठे हो
मरते लुट ते देवी के रूपों को कैसे देखे हो
है धिक्कार ऐसी मानवता पे
जिसे अपनी बेटी पे गर्व नही
कोई हक नही इन खूनियो को
के वो माँ का सत्कार करे
इन खून से रंगे हाथो से
माँ भगवती का न सिंगार करे
जो ऐसे कर्म से शर्म सार नहीं
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
अँधा धुंध होती कन्या भ्रूण हत्या जैसी शर्म नाक कृत्य हर रोज़ हमारे देश में हो रहे है  और हम देवी पूजन कर आशीर्वाद मांग रहे है !!  ये कैसी विडंबना है !!
Swati
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