सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Wednesday, December 8, 2010

मैं बेटी का हक मांगूंगी.......

क्यों किया पता हे मात -पिता !
कि कोख में मैं एक बेटी हूँ ,
उस पर ये गर्भ-पात निर्णय ;
सुनकर मैं कितनी चिंतित हूँ ?
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हाँ ! सुनो जरा खुद को बदलो ,
मैं ऐसे हार न मानूगी ,
हे ! माता तेरी कोख में अब
मैं बेटी का हक़ मागूंगी !
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बेटी के रूप में जन्म लिया ,
क्यों देख के मुरझाया चेहरा ?
मैं भी संतान तुम्हारी हूँ ,
फिर क्यों छाया दुःख का कोहरा ?
हाँ ! सुनो जरा खुद को बदलो !
मैं ऐसे हार न मानूगी ,
हे ! माता तेरी गोद में अब
मैं बेटी का हक़ मगूंगो !
*****************************
लालन -पालन मेरा करके
मुझको भी जीने का हक़ दो !
मैं करू तुम्हारी सेवा भी ,
ऐसी मुझमे ताकत भर दो ,
बेटी होकर ही अब मैं तुमसे
बेटों जैसा हक़ मागूंगी !
हे ! माता tere मन में अब
मैं बेटी का हक़ मागूंगी !

10 comments:

Shalini kaushik said...

sahi kaha!beti aakhir phir apna haq maa se hi to mangegi.behad marmik abhivyakti.....

vandana gupta said...

मांगने से कुछ नही मिलता यहाँ………।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

Kailash Sharma said...

बेटियों को अपना हक मांगने की जरूरत ही नहीं पड़नी चाहिए. हमें अपनी मानसिकता बदल कर बेटी के प्यार को महसूस करना चाहिए और फिर उसे शायद उसका अधिकार मांगने की आवश्यकता ही नहीं होगी..बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति

Alokita Gupta said...

nice creation aur main kailash ji se purntah sahmat hun samaj ko apni mansikta badalni hogi taki fir kisi beti ko apna haq mangna na pade

Kunwar Kusumesh said...

माँ-बाप बेटी को वैसे ही बहुत प्यार करते हैं.शायद आप भ्रूण हत्या पर लिखने का प्रयास कर रही थीं मगर लेखन भटकते हुए कहीं और चला गया.
मेरे दोस्त गुलरेज़ इलाहाबादी का एक शेर है,आप भी सुने:-
दुआएं कौन राखी बाँध कर मांगेगा भाई की,
अगर माँ कोख में आई हुए बच्ची गिरा देगी.

Devatosh said...

बेटी.....या बेटा....

दोनों ईश्वर के देन हैं.....हम कौन होते हैं अंतर करने वाले ....

सुंदर प्रयास....लिखती रहिये....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी प्रस्तुति

दिगम्बर नासवा said...

नारी से मांगती न्याय नारी ... सच है नारी पर अत्यचरों में नारी भी पीछे नही ....

ZEAL said...

उम्दा प्रस्तुति । दिगम्बर नासवा जी की बात ध्यान देने योग्य है।

Shikha Kaushik said...

mera utsahvardhan karne ke liye aap sabhi ka hardik dhanywad !