सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Sunday, April 27, 2008

कुछ त्रिपदम नारी के नाम

आत्मशक्ति
अभिभूत
करें पुरुष को
नारी सुलभ गुणों से
शक्ति बनें हम नवयुग की
सम्मानित होकर पुरुष से
रूप नया दें समाज को
अपनी आत्मशक्ति से
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कुछ त्रिपदम नारी के नाम

नर से नारी
दो मात्रा से आगे जो
स्नेही माँ देवी

सृजन-सृष्टा
गर्भगृह समृद्ध
सौभाग्यशाली

भावुक नारी
स्नेही ममतामयी
संवेदनशील

गरिमामयी
धरा पे स्वर्ग लाए
शक्तिशालिनी

मीनाक्षी

ये कविता मीनाक्षी की हैं , रंजू केवल सूत्रधार हैं
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

3 comments:

mehek said...

भावुक नारी
स्नेही ममतामयी
संवेदनशील

गरिमामयी
धरा पे स्वर्ग लाए
शक्तिशालिनी
bahut bahut sundar sashkt,awesome

शोभा said...

मीनाक्षी जी
बहुत ही प्रभावी भाषा-शैली का प्रयोग किया है। अति सुन्दर।

रंजू भाटिया said...

मीनाक्षी जी आपके लिखे त्रिपदम हमेशा ही मुझे अच्छे लगे हैं और इनका यह रूप तो बहुत ही अदभुत है ..!!