tag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post7346812706734947225..comments2024-02-03T15:45:07.375+05:30Comments on नारी का कविता ब्लॉग: अगर राहे नई नहीं बनेगीरचनाhttp://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-60106354226894792382008-06-15T14:15:00.000+05:302008-06-15T14:15:00.000+05:30उत्तम, बहुत उत्तम!सभी में नयी राहें बनाने की सामर्...उत्तम, बहुत उत्तम!<BR/>सभी में नयी राहें बनाने की सामर्थ्य नहीं होती, सदैव नही राहें ही ठीक हों यह भी गारन्टी के साथ नहीं कहा जा सकता. अतः नवीन मार्गों की खोज जोखिम का काम है, सभी जोखिम नही ले सकते तभी तो कहा गया है-<BR/>लीक पर वे चलें जिनके कदम थके और हारे हैं,<BR/>हमें तो.................डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-65009387637675259232008-06-14T17:36:00.000+05:302008-06-14T17:36:00.000+05:30क्योकि अगर राहे नई नहीं बनेगीतो सारी दुनिया को चलत...क्योकि अगर राहे <BR/>नई नहीं बनेगी<BR/>तो सारी दुनिया को <BR/>चलते ही रहना होगा<BR/>उन सडको पर जो टूट चुकी है<BR/>bahut hi sahi baat kahi aapne,nayi raahein hongi to nayi disha ki aur kadam bhi badhenge,bahut hi sundar baat.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-41128626015309700612008-06-14T15:51:00.000+05:302008-06-14T15:51:00.000+05:30ठीक बात कही आपने रचना जी.. कविता के माध्यम सेठीक बात कही आपने रचना जी.. कविता के माध्यम सेकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-54018866308379483972008-06-14T15:37:00.000+05:302008-06-14T15:37:00.000+05:30उम्दा भाव.सुंदर शब्द चित्रण.अच्छी कविता के लिए बधा...उम्दा भाव.<BR/>सुंदर शब्द चित्रण.<BR/>अच्छी कविता के लिए बधाई.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-88927769690263614022008-06-14T15:32:00.000+05:302008-06-14T15:32:00.000+05:30वह ग़लत नहीं हैंजो राहे नई बनाते हैंक्योकि अगर राह...वह ग़लत नहीं हैं<BR/>जो राहे नई बनाते हैं<BR/>क्योकि अगर राहे नई नहीं बनेगी<BR/>तो सारी दुनिया को चलते ही रहना होगा<BR/>उन सडको पर जो टूट चुकी है<BR/><BR/>अलग राह बनाना को संबंल चाहिये<BR/>नेता तमाम है <BR/>सृजेता दुर्लभ..<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com