tag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post2673602307334157618..comments2024-02-03T15:45:07.375+05:30Comments on नारी का कविता ब्लॉग: फूल और काँटेरचनाhttp://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-28437475677528084202010-11-10T21:12:11.533+05:302010-11-10T21:12:11.533+05:30नारी ईश्वर की वह रचना है, जिससे ये सृष्टि चलती है ...नारी ईश्वर की वह रचना है, जिससे ये सृष्टि चलती है और वह विषम से विषम परिस्थिति में भी अपने संयम और धैर्य के साथ जूझती हुई इसमें वर्णित हर रूप में साकार होती है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-541680947250170714.post-85976605364006971772010-11-09T23:24:23.275+05:302010-11-09T23:24:23.275+05:30अच्छी उपमाएँ हैं.
काँटे करते हैं सदैव
रक्षा फूलो...अच्छी उपमाएँ हैं.<br /><br />काँटे करते हैं सदैव <br />रक्षा फूलों की <br />और महका देते हैं <br />पूरे वातावरण को <br />अपनी महक से !<br /><br />- विजय तिवारी 'किसलय' <br /><b> <a href="http://hindisahityasangam.blogspot.com" rel="nofollow">हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर </a> </b>विजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.com