सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Thursday, April 19, 2012

औरत और सब्जी --- अपमान रिश्तो का

अब भी कोहनिया जलती हैं
अब भी नमक कम ज्यादा होता हैं
पर
अब बच्चो का थाली फेकना
और
पति का चिल्लाना  
बस वहीँ होता हैं
जहां एक माँ और पत्नी नहीं
एक औरत खाना बनाती हैं

हमारे घर में ऐसी क़ोई
औरत खाना नहीं बनाती
माँ , बेटी , पत्नी और बहू बनाती हैं
जो औरत नहीं हैं
उनको औरत ना कहे

और कहीं औरत देखे
तो घंटी बजा दे ताकि
औरत को इन्सान
वो परिवार समझने लगे

अपमान आप रिश्तो का करते हैं 
जब माँ , बहन , बेटी , पत्नी , बहु को 
महज औरत कह देते हैं 
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