सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Monday, March 21, 2011

मैं चुप नहीं रह पाऊँगी.

सदियों  सहन करती  आई  हूँ  तुम्हें !
सदियों वहन  भी करती जाऊँगी (कोख  में)  .

पर अगर तुम यह सोचो                
कि यह दहन- प्रक्रिया भी     
 जारी रहेगी 
यूँ ही सदियों तक. 

तो मैं चुप नहीं रह पाऊँगी.

तब सहन को भूल,
वहन को त्याग 
मैं दहन के विरुद्ध 
आवाज़ उठाऊंगी.

हाँ ! 
मैं दहन के विरुद्ध 
आवाज़ उठाऊंगी.


© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!

Saturday, March 19, 2011

खामोशी

© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!

खामोशी की जुबां कभी कभी
कितनी मुखर हो उठती है
मैंने उस कोलाहल को सुना है !
खामोशी की मार कभी कभी
कितनी मारक होती है
मैंने उसके वारों को झेला है !
खामोशी की आँच कभी कभी
कितनी विकराल होती है
मैंने उस ज्वाला में
कई घरों को जलते देखा है !
खामोशी के आँसू कभी कभी
कितने वेगवान हो उठते हैं
मैंने उन आँसुओं की
प्रगल्भ बाढ़ में
ना जाने कितनी
सुन्दर जिंदगियों को
विवश, बेसहारा बहते देखा है !
खामोशी का अहसास कभी कभी
कितना घुटन भरा होता है
मैंने उस भयावह
अनुभूति को खुद पर झेला है !
खामोशी इस तरह खौफनाक
भी हो सकती है
इसका इल्म कहाँ था मुझे !
मुझे इससे डर लगता है
और मैं इस डर की क़ैद से
बाहर निकलना चाहती हूँ ,
कोई अब तो इस खामोशी को तोड़े !

साधना वैद
होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें !

Sunday, March 13, 2011

सोच रहा हैं अरुणा शानबाग का बिस्तर

अरुणा
मर तो तुम उस दिन ही गयी थी
जिस दिन एक दरिन्दे ने
तुम्हारा बलात्कार किया था
और तुम्हारे गले को बाँधा था
एक जंजीर से
जो लोग अपने कुत्ते के गले मे नहीं
उसके पट्टे मे बांधते हैं

उस जंजीर ने रोक दिया
तुम्हारे जीवन को वही
उसी पल मे
कैद कर दिया तुम्हारी साँसों को
जो आज भी चल रही हैं

उस जंजीर ने बाँध दिया तुमको एक बिस्तर से
और आज भी ३७ साल से वो बिस्तर ,
मै
तुम्हारा हम सफ़र बना
देख रहा हूँ तुम्हारी जीजिविषा
और सोच रहा हूँ

क्यूँ जीवन ख़तम हो जाने के बाद भी तुम जिन्दा हो ??

तुम जिन्दा हो क्युकी तुमको
रचना हैं एक इतिहास
सबसे लम्बे समय तक
जीवित लाश बन कर
रहने वाली बलात्कार पीड़िता का
उस पीडिता का जिसको
अपनी पीड़ा का कोई
एहसास भी नहीं होता

हो सकता हैं
कल तुम्हारा नाम गिनीस बुक मे
भी आजाये

क्यूँ चल रही हैं सांसे आज भी तुम्हारी
शायद इस लिये क्युकी
रचना हैं एक इतिहास तुम्हे

जहां अधिकार मिले
लोगो को अपनी पीड़ा से मुक्ति पाने का
उस पीड़ा से जो वो महसूस भी नहीं करते



आज लोग कहते हैं
बेचारी बदकिस्मत लड़की के लिये कुछ करो
भूल जाते हैं वो कि
लड़की से वृद्धा का सफ़र
तुमने अपने बिस्तर के साथ
तय कर लिया हैं
काट लिया कहना कुछ ज्यादा बेहतर होता

कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं



एक बिस्तर कि भी पीड़ा होती हैं
कब ख़तम होगी मेरी पीड़ा
अरुणा का बिस्तर सोच रहा हैं
और कामना कर रहा हैं
फिर किसी बिस्तर को न
बनना पडे
किसी बलात्कार पीड़िता
का हमसफ़र



लेकिन
बदकिस्मत एक बलात्कार पीड़िता नहीं होती हैं
बदकिस्मत हैं वो समाज जहां बलात्कार होता हैं

बड़ा बदकिस्मत हैं
ये भारत का समाज
जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
असंस्कारी ही बना रहता हैं




© 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!

Saturday, March 12, 2011

कर्म भाग्य बनाता है. बेटों का भी , और बेटियों का भी

एक वक़्त था,
जब मेरे जन्म पर,
तुमने कहा था,
कुल्क्छिनी,
आते ही ,
भाई को खा गयी.
माँ तेरे ये बात ,
मेरे बाल मन
पर घर कर गए.
मेरा बाल मन रहने लगा ,
अपराध बोध,
पलने लगे कुछ विचार,
क्या करूँ ऐसा?
जिससे तेरे मन से ,
मिटा सकूँ मै,
वो विचार,
जिससे कम कर सकूँ,
तुम्हारे,
मन के अवसाद को.
वक़्त गुजरते गए,
ज़ख्म भी भरते गए,
फिर आया ,
एक ऐसा वक़्त,
जब तुमने ही कहा ,
बेटियां कहाँ पीछे हैं ,
बेटों से.
वो तो दोनों कुल का,
मान बढाती हैं,
माँ ,
शायद तुम्हे भी ,
अहसास हो गया,
क़ि जन्म नहीं ,
कर्म भाग्य बनाता है.
बेटों का भी ,
और बेटियों का भी.
" रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

Wednesday, March 9, 2011

कविता पढिये जवाब खोजिये " नारी "

ये कविता अतिथि कवि कि पोस्ट के तेहत पोस्ट कर रही हूँ । कविता चैतन्य आलोक जी कि हैं
कविता के अंत मै एक प्रश्न हैं जो लाल अक्षरों से हैं । जवाब जितने मिलेगे उतना बढ़िया होगा । मुझे कविता ने छुआ । मेरा जवाब भी हैं पर सबसे अंत मै आयेगा । सो कविता पढिये जवाब खोजिये

नारी




वो मेरी तुमसे पहली पहचान थी
जब मैं जन्मा भी न था
मैं गर्भ में था तुम्हारे
और तुम सहेजे थीं मुझे.

फिर मृत्यु सी पीड़ा सहकर भी
जन्म दिया तुमने मुझे
सासें दीं, दूध दिया, रक्त दिया तुमने मुझे.

और जैसे तुम्हारे नेह की पतवार
लहर लहर ले आयी जीवन में

तुम्हारी उंगली को छूकर
तुमसे भी ऊँचा होकर
एक दिन अचानक
तुमसे अलग हो गया मैं.

और जिस तरह नदी पार हो जाने पर
नाव साथ नहीं चलती
मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा नहीं लगता था
तुम्हारे साथ मैं खुद को दुनिया को बच्चा दिखता था.

बचपन के साथ तुम्हें भी खत्म समझ लिया मैने
और तब तुम मेरे साथ बराबर की होकर आयीं थीं..

बादलों पर चलते
ख्याब हसीं बुनते
हम कितना बतियाते थे चोरी के उन लम्हों में
दुनिया भर की बातें कर जाते थे

मै तुम पर कविता लिखता था
खुद को “पुरूरवा”
तुम्हें “उर्वशी” कहता था.

और जैसा अक्सर होता है
फिर एक रोज़
तुम्हारे “पुरूरवा” को भी ज्ञान प्राप्त हो गया
वो “उर्वशी” का नहीं लक्ष्मी का दास हो गया

मेरी कीमत लगी दहेज़ के बाज़ार में
और बिक गया मैं
ढेर सारे रुपयों के लिये

तुम फिर आयीं मेरे जीवन में
मैने फिर तुम्हारा साथ पाया

वह तुम्हारा समर्पण ही था
जिसने चारदीवारी को घर बना दिया
पर व्यवहार कुशल मैं
सब जान कर भी खामोश रह गया

और उन्मादी रातों में
तुम जब नज़दीक होती
यह “पुरूरवा”, “वात्सायन” बन जाता
खेलता तुम्हारे शरीर से और रह जाता था अछूत
तुम्हारी कोरी भावनाऑ से

सोचता हूं ?
इस पूरी यात्रा में
तुम्हें क्या मिला
क्या मिला

एक लाल
और फिर यही सब .....

और जब तुमने लाली को जना था
तो क्यों रोयीं थीं तुम
क्यों रोयीं थीं???

jay ho ![part-3]

ब्लॉग जगत में महिला चिट्ठाकारों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है .आशा है कि सभी महिला चिट्ठाकार अपने सार्थक लेखन से चिट्ठाजगत को ऐसे ही समृद्ध करती रहेंगी -

''आओ करें वंदना उस देवी की
जिसकी नूतन दीपशिखा ने जग-चमकाया .

आज देख 'asha ' का 'savita'
'ada' -'sada' हैं अति 'mudita ',
उधर 'purnima' बिखराती 'jyotsna'
'deepti'पूर्ण हो रही है 'meena',
'kshama' -'anupma' करती हैं चिट्ठों की 'archna'
'meenakshi'-'' के चिट्ठें 'divya'-'nirmala',
'शिखा'-'शालिनी' की है कामना दूर सभी भय हो ,
बढें सफलता -पथ  पर  हम 
   '''नारी की जय हो !'' 
[कविता में वर्णित महिला चिट्ठाकारों के ब्लॉग पर जाकर उन्हें उत्साह वर्धन करें .हम प्रोफाइल पर जाकर चिट्ठाकार द्वारा बनाये   गए ब्लॉग में से किसी भी एक ब्लॉग का लिंक यहाँ दे रहें हैं .यदि कोई त्रुटि रह जाये तो हम क्षमाप्रार्थी   है .इसे अन्यथा न लें .हमारा उदेश्य महिला चिट्ठाकारों के नाम से चिट्ठाजगत को परिचित कराना मात्र है .जो भी त्रुटि हो टिप्पणी के माध्यम से बताएं .]
 लेखिका-shikha kaushik
सहायिका- shalini kaushik .

Tuesday, March 8, 2011

नारी तेरे रूप अनेक


महिला दिवस पर समस्त नारी जाति को हार्दिक शुभकामनायें .............

ये रचना मेरी प्रथम काव्य संग्रह "स्वप्न मरते नहीं " से ली है


नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी,
कंधे से कंधा मिलाकर,
कम की है इसने,
पुरुषों की जिम्मेवारी,
जीवनसाथी बनकर,
पूरी करती अपनी हिस्सेदारी,
कभी रूप सलोना प्यारा लगे,
रहे शांत समुंद्र सी न्यारी,
अगर जरुरत पड़ जाये ,
ये बन जाये चिंगारी,
कभी दूध का क़र्ज़ निभाने को,
कभी माँ,बहू, बहन का फ़र्ज़ निभाने को,
पल पल पीसी जाती रही नारी,
हर कदम इम्तिहान से गुजरी ,
फिर भी उफ़ ना मुख से निकली,
ये तो महानता है इसकी,
जो दिखती नहीं इसकी बेकरारी,
आधा रूप बदला इसने जो,
समाज का अक्स सुधारी,
तुलना करोगे किससे ?
हर कुछ छोटा पड़ जायेगा.
ममता की गहराई मापने में ,
सागर भी बौना खुद को पायेगा.
ये अनमोल तोहफा है,
जो कुदरत ने दी है प्यारी,
हर मोड पर फिर क्यों ?
बुरी नज़रों का करना पड़ता है ,
सामना इसे करारी.
ये क्यों भूल जाते हो ?
तुम्हें संसार में लानेवाली भी,
है एक नारी.
चुटकी भर सिंदूर को ,
मांग में सजाती है,
उसका मोल चुकाने को,
कभी कभी ,
जिन्दा भी जल जाती है नारी.
हर जीवन पर करती अहसान,
फिर भी ना पा सकी सम्मान.
नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी.

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

jay ho ! [part-2]

आज ब्लॉग -जगत में सर्वत्र स्त्री-शक्ति का बोलबाला है .एल. बी. ए. की अध्यक्ष पद पर  rekha shrivastav जी की नियुक्ति ,AIBA  के अध्यक्ष पद vandana जी की नियुक्ति ,HBIF पर संरक्षिका पद पर rashmi prabha जी व् कानूनी सलाहकार पद पर shalini जी की नियुक्ति इसके मात्र कुछ उदाहरण हैं .नारी के सर्वाधिक सम्मानीय पद ''माँ '' की महिमा को प्रणाम करते हुए  महत्वपूर्ण ब्लॉग - ''pyari maa '' ब्लॉग जगत में सराहा  जा रहा  हैं .''rachna'' जी के कुशल निर्देशन में ''nari ' व् ''nari ka kavita blog 'समस्त ब्लॉग संसार में अपना अनुपम स्थान बनाये हुए है क्योकि ये दोनों ब्लॉग एक मात्र ऐसे ब्लॉग है जिन पर केवल महिला चिट्ठाकार अपनी पोस्ट प्रकाशित कर सकती हैं .शुभम जैन जी का ''nanhi pari 'ब्लॉग हमारी 'छोटी सी परियों को ब्लॉग जगत से जोड़ रहा है .' अक्षिता पाखी    'का नाम इस दिशा में विशेष रूप से उल्लेखनीय है .इनके अतिरिक्त  ''betiyon ka blog '' व् ''hamari bahan sharmila '' ब्लॉग भी नारी के ब्लॉग जगत में बढते क़दमों की और संकेत कर रहें हैं .
                       आइये फिर से मिलकर कहें --''जय हो ! ''
       ''आओ करें वंदना हम उस देवी की
          जिसकी नूतन दीपशिखा ने जग चमकाया ,
''alokita'   'anita '' या   हो वो ' sangeeta '
सबकी नई ' serjana ' ने मन को है जीता ,
'priyanka 'ने लेखन से की है 'pooja '
''monika ''की पवित्र लेखनी करे अजूबा ,
''veena '' और ''lata '' ने सबका मन हर्षाया .
अपनी अद्भुत प्रतिभा का लोहा मन वाया .

'नारी मुक्ति -''asha '' ने फैलाई ''roshi'नी
सतत-'sadhna' लीन ''ajit'  'shalini'
'anshumala' 'anu ' बढाती चिटठा''garima '' ,
'manvindar' -'padma' के संग संग चले 'neelima'
हर ''deep 'की 'mala 'ने फिजाओं को महकाया .
अपनी अद्भुत प्रतिभा का लोहा मनवाया .
 [कविता में प्रयुक्त महिला -चिट्ठाकारों के ब्लॉग पर जाकर उनका उत्साहवर्धन करें ]
        'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें '
                              ''जय हो !''
लेखिका -shikha kaushik
सहायिका -shalini kaushik

                                   [जारी...........]

Sunday, March 6, 2011

जय हो ! [भाग-१ ]

८ मार्च को हम सभी ''अंतर-राष्ट्रीय महिला दिवस '' मनातें है .आज ब्लॉग -जगत में हमारी महिला चिठ्ठाकार जिस प्रकार से अपनी लेखन क्षमता का परिचय देते हुए अपना लोहा मनवा रही हैं
-उसकी तारीफ में बस एक ही भाव मन में उमड़ आता है -''जय हो ''.

इसी भाव को लेकर मैंने यह पोस्ट तैयार की है
आशा है आप सभी इसकी दिल से सराहना करेंगे .----


''आओ करें ''vandana ''
हम उस ''devi'' की ;

''जिसकी ''nutan'' दीप
''shikha'' ने जग चमकाया ,

''mamta''मय''''preeti''मय
प्रभु की इस ''rachna'' ने ;

अपनी अद्भुत ''pratibha'' का लोहा मनवाया .''
''sharad'' 'shashi' की 'rashmi' से शीतलता फैली ;
'poonam' की 'rajani' आई सज नई-नवेली ,
अच्छे लेखों से ज्ञान की ''rekha''खीची'' ;
सुन्दर 'kavita' से भावों की क्यारी सीचे ;
''harkirat'' की 'kiran ' से भर गया ''amar'' उजाला .

[लिंक में दिए गए नामों पर जाकर महिला चिट्ठाकारों का उत्साहवर्धन करें क्योंकि ये सभी नाम महिला चिट्ठाकारों के हैं]
लेखिका-शिखा कौशिक
सहायिका-शालिनी कौशिक
[जारी.........]