सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Saturday, March 19, 2011

खामोशी

© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!

खामोशी की जुबां कभी कभी
कितनी मुखर हो उठती है
मैंने उस कोलाहल को सुना है !
खामोशी की मार कभी कभी
कितनी मारक होती है
मैंने उसके वारों को झेला है !
खामोशी की आँच कभी कभी
कितनी विकराल होती है
मैंने उस ज्वाला में
कई घरों को जलते देखा है !
खामोशी के आँसू कभी कभी
कितने वेगवान हो उठते हैं
मैंने उन आँसुओं की
प्रगल्भ बाढ़ में
ना जाने कितनी
सुन्दर जिंदगियों को
विवश, बेसहारा बहते देखा है !
खामोशी का अहसास कभी कभी
कितना घुटन भरा होता है
मैंने उस भयावह
अनुभूति को खुद पर झेला है !
खामोशी इस तरह खौफनाक
भी हो सकती है
इसका इल्म कहाँ था मुझे !
मुझे इससे डर लगता है
और मैं इस डर की क़ैद से
बाहर निकलना चाहती हूँ ,
कोई अब तो इस खामोशी को तोड़े !

साधना वैद
होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें !

9 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

रंग के त्यौहार में
सभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।


आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......

होली की खुब सारी शुभकामनाये........

सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर ,"एक्टिवे लाइफ" और "आज का आगरा"बलोग की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ..

समय मिले तो ये पोस्ट जरूर देखें.

"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!" और अपना सुझाव व संदेश जरुर दे!
लिक http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

आपका सवाई सिंह
आगरा

रचना said...

होली की आप को हार्दिक शुभकामनायें !

manasvinee mukul said...

जापान की खामोशी और सहनशक्ति की दाद देती हूँ.मन विचलित है उस त्रासदी को ख़ामोशी से भोग रहे लोगों के बारे में सोच-सोच कर .हाँ मैं भी तो खामोश हूँ बाहर से अन्दर तो कुछ भींच रहा है .सच में ख़ामोशी बहुत घुटन भरी भी होती है.ईश्वर से प्रार्थना है सभी को खुशियाँ दें ,सुख दे ,घुटन भरी ख़ामोशी न दे.ये होली खुशियों,सकारात्मक ऊर्जा के रंग पूरे विश्व में फैला दे .सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया.

Asha Lata Saxena said...

अच्छी और भाव पूर्ण रचना |आशा

neelima garg said...

खामोशी इस तरह खौफनाक
भी हो सकती है
इसका इल्म कहाँ था मुझे....really good

मीनाक्षी said...

ख़ामोशी के गर्भ में पलता ज्वालामुखी जब बाहर आता है तो बहुत कुछ ख़ाक करके जाता है... भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

bahut sundar ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खुद के अनुभव को खूबसूरती से लिखा है ... खामोशी भी क्या क्या नहीं कहती ..

vidya said...

वाह....बहुत सुन्दर...दिल को छू गयी..
सादर.